Navratri 2014 (Worship of Durga) – Durga Puja or Durgotsava
Om Jayanti, Mangala, Kali, Bhadrakali, Kapalini. Durga, Shiba, Kshama, Dhatri, Swaha, Swadha Namahstu Te. Esha Sachandana Gandha Pushpa Bilwa Patranjali, Om Hrring Durgaoi Namah
Navratri is one of the most celebrated festivals in India. Durga Puja is widely celebrated in Assam, Bihar, Jharkhand, Manipur, Odisha, Tripura and West Bengal of India, where it is a five-day annual holiday. Navratri literally means the festival of nine devout nights. Goddess Durga is venerated during these nine days & nights.
Sculpture Creation, Pnadals & Puja of Durga
The people of India are very devotional towards Maa Durga and they make the sculpture of Durga every year and after that they install the sculpture of Goddess Durga in Pandals and doing Pujas for nine days & nights with full devotion.
Navratri 2014 Color – Dress Wear Code of Durga Puja
Please refer below the chart for Navratri 2014 dress color code:
दुर्गा सप्तशती पाठ विधि (Navratri 2014 Prayer – Durga Saptasati Paath)
आरंभ में पवित्र स्थान की मिट्टी से वेदी बनाकर उसमें जौ, गेहूं बोएं। फिर उसके ऊपर कलश को विधिपूर्वक स्थापित करें। कलश के ऊपर मूर्ति की प्रतिष्ठा करें। मूर्ति यदि कच्ची मिट्टी, कागज या सिंदूर आदि से बनी हो और स्नानादि से उसमें विकृति होने की आशंका हो तो उसके ऊपर शीशा लगा दे।
मूर्ति न हो तो कलश के पीछे स्वास्तिक और उसके दोनों भुजाओं में त्रिशूल बनाकर दुर्गाजी का चित्र, पुस्तक तथा शालग्राम को विराजित कर विष्णु का पूजन करें। पूजन सात्विक हो, राजस और तामस नहीं।
नवरात्र व्रत के आरंभ में स्वस्ति वाचक शांति पाठ कर संकल्प करें और तब सर्वप्रथम गणपति की पूजा कर मातृका, लोकपाल, नवग्रह एवं वरुण का विधि से पूजन करें। फिर प्रधानमूर्ति का षोड़शोपचार पूजन करना चाहिए। अपने ईष्टदेव का पूजन करें। पूजन वेद विधि या संप्रदाय निर्दिष्ट विधि से होना चाहिए। दुर्गा देवी की आराधना अनुष्ठान में महाकाली, महालक्ष्मी और महासरस्वती का पूजन तथा मार्कण्डेयपुराण के अनुसार श्री दुर्गा सप्तशती का पाठ मुख्य अनुष्ठान कर्तव्य है।
पाठ विधि
श्री दुर्गा सप्तशती पुस्तक का विधिपूर्वक पूजन कर इस मंत्र से प्रार्थना करनी चाहिए।
नमो देव्यै महादेव्यै शिवायै सततं नमः।
नमः प्रकृत्यै भद्रायै नियताः प्रणताः स्म ताम्।
इस मंत्र से पंचोपचार पूजन कर यथाविधि पाठ करें। देवी व्रत में कुमारी पूजन परम आवश्यक माना गया है। सामर्थ्य हो तो नवरात्रि भर प्रतिदिन, अन्यथा समाप्ति के दिन नौ कुमारियों के चरण धोकर उन्हें देवी रूप मानकर गंध-पुष्पादि से अर्चन कर आदर के साथ यथारुचि मिष्ठान भोजन कराना चाहिए एवं वस्त्रादि से सत्कार करना चाहिए।
कुमारी पूजन में दस वर्ष तक की कन्याओं का अर्चन विशेष महत्व रखता है। दो वर्ष की कन्या कुमारी, तीन वर्ष की त्रिमूर्तिनी, चार वर्ष की कल्याणी, पांच वर्ष की रोहिणी, छः वर्ष की काली, सात वर्ष की चंडिका, आठ वर्ष की शाम्भवी, नौ वर्ष की दुर्गा और दस वर्ष वाली सुभद्रा स्वरूपा होती है।
दुर्गा पूजा में प्रतिदिन की पूजा का विशेष महत्व है जिसमें प्रथम शैलपुत्री से लेकर नवम् सिद्धिदात्री तक नव दुर्गाओं की नव शक्तियों का और स्वरूपों का विशेष अर्चन होता है।
Navratri 2014 Photos
Navratri 2014: Durga Puja 2014 Dates|Pandals|दुर्गा सप्तशती पाठ विधि
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